बगुला के पंख 88 कचूमर निकल गया । लाल बुलाकीदास तो जुगनू पर सब भार सौंपकर बेफिक हो गए और जुगनू ने सेक्रेटरी को सब स्याह-सफेद करने का अधिकार देकर सिगरेट पर सिगरेट फूंकना शुरू कर दिया। बस, उसने तय किया कि आफिस में बैठकर सिगरेट पिया करेंगे । जो होना होगा, हो जाएगा। आरम्भ में वह ज़रा सेक्रेटरी के रुपाब में आ गया था, पर जब सेक्रेटरी ने अदब और नम्रता का व्यवहार किया तो वह निश्चिन्त हो गया । और इस प्रकार भारत की राजधानी का नगर-ताऊ अपने पहले दिन का संकट सही-सलामत झेलकर जब घर लौटा तो वह खुश था। उसे प्रतीत हो रहा था कि गाड़ी अपने आप ही तेज़ रफ्तार से दौड़ी चली जा रही है। कोयला झोंकनेवाले और ड्राइवर इंजिन को चलाने की ज़िम्मेदारी रख रहे हैं। वह केवल गद्देदार कुर्सी पर आराम से बैठकर सिगरेट फूंक रहा है। यही उसका कर्तव्य है। यही उसकी कौमी खिदमत है। २८ इम्पीरियल होटल की इस दावत का कारण जुगनू की समझ में नहीं आ रहा था। इतने बड़े होटल में जाने की भी उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। परन्तु अब तो प्रतिदिन असाधारण अवसर आ रहे थे। वह कब-कब और कैसे इनसे कतराकर बच सकता था। यह सम्भव ही नहीं था। वह टैक्सी लेकर होटल गया। वहां नवाब और लाला फकीरचन्द ने उसका स्वागत किया । लाला फकीरचन्द को वहां देखकर उसे आश्चर्य भी हुआ और संकोच भी; पर जब लाला फकीरचन्द ने खुशामदी ढग पर दोनों हाथ जोड़कर मुस्कराते हुए उसका स्वागत किया, तब उसे याद हो पाया कि अब वह पहलेवाला मुशी नहीं है । अब वह नगर का एक प्रतिष्ठित शक्तिशाली व्यक्ति है और ऐसे-ऐसे लाला अब उसके तलुए सहलाएंगे। उसने एक शानदार मुस्कराहट के साथ अभिवादन का जवाब दिया, लाला का मिज़ाज पूछा । लाला ने वैसी ही अधीनता से शिष्टाचार का उत्तर दिया । नवाब अलग खड़ा मुस्करा रहा था। जुगनू जानना चाहता था कि इस दावत का मतलब क्या है। इतने ही में लाला फकीरचन्द ने हाथ
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