मान सकता कि सभी वकील फूलों की सेज पर सोते हैं। अपना-अपना भाग्य सभी जगह है। कितने ही वकील हैं, जो झूठी गवाहियाँ देकर पेट पालते हैं। इस देश में समाचार-पत्रों का प्रचार अभी बहुत कम है, इसी कारण पत्र-संचालकों की आर्थिक दशा अच्छी नहीं। योरप और अमेरिका में पत्र चलाकर लोग करोड़पति हो गए हैं। इस समय संसार के सभी समुन्नत देशों के सूत्रधार या तो समाचारपत्रों के संपादक और लेखक है, या पत्रो के स्वामी। ऐसे कितने ही अरब- पति है, जिन्होंने अपनी संपत्ति को नींव पत्रों पर हो खड़ी की थी......।
ईश्वरचंद्र सिद्ध करना चाहते थे कि धन, ख्याति और सम्मान प्राप्त करने का, पत्र-संचालन से उत्तम, और कोई साधन नहीं है, और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इसी जीवन में सत्य और न्याय की रक्षा करने के सच्च अवसर मिलते हैं। परंतु मानकी पर इस वक्तृता का ज़रा भी असर न हुआ। स्थूल दृष्टि को दूर की चीजे़ साफ नहीं दीखती। मानकी के सामने सफल संपादक का कोई उदाहरण न था।
१६ वर्ष गुज़र गए। ईश्वरचंद्र ने संपादकीय जगत् में ख़ूब नाम पैदा किया, जातीय आंदोलनों में अग्रसर हुए, पुस्तकें लिखीं, एक दैनिक पत्र निकाला, अधिकारियों के भी सम्मान- पात्र हुए। बड़ा लड़का बी॰ ए॰ में जा पहुँँचा, छोटे लड़के