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प्रेमाश्रम


बिसेसर हाथ जोड़ता था, पैरों पड़ता था कि मेरे यही नहीं है, लेकिन चपरासी एक न सुनता था, कहता था जहाँ से चाहो मुझे ला कर दो। गालियाँ देता था, डंडा दिखाता था। बारे बलराज पहुँच गया। जब वह कड़ा पड़ा तो चपरासी मियाँ नरम पड़े, और भुनभुनाते चले गये।

दुखरन-बिसेसर की एक बार मरम्मत हो जाती तो अच्छा होता। गाँव भर का गला मरोड़ता है, यह उसकी सजा है।

डपट-—और हम तुम किसका गला मरोड़ते है?

मनोहर ने चिन्तित भाव से कहा, बलराज अब सरकारी आदमियों के मुँह आने लगा। कितनी समझा के हार गया मानता नहीं।

कादिर—यह उमिर ही ऐसी होती है।

यही बातें हो रही थी कि एक बटोही आ कर अलाव के पास खड़ा हो गया। उसके पीछे-पीछे एक बुढ़िया लाठी टेकती हुई आयी और अलाव से दूर सिर झुका कर बैठ गयी।

कादिर ने पूछा–कहाँ भाई, कहाँ घर है?

घर तो देवरी पार, अपनी बुढ़िया माता को लिये अस्पताल जाता था। मगर वह जो सड़क के किनारे बगीचे में डिप्टी साहब को लश्कर उतरा है, वहाँ पहुँचा तो चपरासी ने गाड़ी रोक ली और हमारे कपड़ेलत्ते फेक-फक कर लकड़ी लादने लगे। कितनी अरज-विनती की, बुढिया बीमार है, भर रात का चला हैं, आज अस्पताल नहीं पहुँचता तो कल न जाने इसका क्या हाल हो। मगर कौन सुनता है? मैं रोता ही रहा, वहां गाड़ी लद गयी। तब मुझसे कहने लगे, गाड़ी हाँक। क्या करूँ, अब गाड़ी हाँक कर सदर जा रहा हूँ। बैल और गाड़ी उनके भरोसे छोड़ कर आया हूँ। जब लकड़ी पहुँचा के लौटूँगा तब अस्पताल जाऊँगा। तुम लोगों में हो सके तो बुढ़िया के लिए एक खटिया दे दो और कहीं पड़े रहने का ठिकाना बता दो। इतना पुण्य करो, मैं बड़ी विपत्तियों में हूँ।

दुखरन यह बड़ा अंधेर है। यह लोग आदमी काहे कें, पूरे राक्षस हैं, जिन्हें दयाघरम का विचार नहीं।

डपट–दिन भर के थके-मदै बैल हैं, न जाने कहाँ गाड़ी जानी पड़ेगी और न जाने कब लौटोगे। तब तक बुढ़िया अकेली पड़ी रहेगी? जाने कैसी पड़े, कैसी न पड़े! हम लोग कितने भी हो, है तो पराये ही, घर के आदमी की और बात है।

मनोहर-मेरा तो ऐसा ही जी चाहता है कि इस दम डिप्टी साहब के सामने चला जाऊं और ऐसी खरी-खरी सुनाऊँ कि वह भी याद करेंगे। बड़े हाकिम के पोंग बने हैं। इन्साफ तो क्या करने, उल्टे और गरीबों को पीसते हैं। खटिया की तो कोई बात नहीं हैं और न जगह की ही कमी है, लेकिन यह अकेली रहेंगी कैसे?

बटोही--कैसे बताऊँ? जो भाग्य में लिखा है वही होगा।

मनोहर वहाँ से कोई तुम्हारी गाड़ी हाँक ले जाए तो कोई हरज है?