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प्रेमाश्रम

ऊपर ऐसा क्रोध आता है कि क्या कहूँ। अभी बाबा से मिलने गया था। वहुत दुखी थे। किसी महाजन ने उनपर नालिश भी कर दी है, इससे और भी चिन्तित थे। अगर यह मुसीबत न आती तो शायद वह इतने दुखी न होते। विपत्ति में शोक और भी दुस्सह हो जाता है। शोक का घाव भरमा तो असम्भव है, पर इस नयी विपत्ति का निवारण हो सकता है। आपसे कहते हुए संकोच होता है, पर इस समय मुझे क्षमा कीजिए। चाचा दयाशंकर तो बाबा से कह रहे थे, हमे जमीन की परवाह नहीं है, निकल जाने दीजिए। आपको अब क्या करना है? मेरे सिर पर जो पड़ेगी, देख लूंगा, लेकिन बाबा की इच्छा यह थी कि महाजन से कुछ दिनो की मुहलत ली जाय। अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं जा कर बातचीत करूँ। मुझसे वह कुछ दवेगा भी।

प्रेमशंकर--रुपयों की फिक्र तो मैं कर रहा हूँ, पर मालूम नहीं उन्हें कितने रुपयों की जरूरत है। उन्होंने मुझमें कभी यह जिक्र नहीं किया।

माया-बातचीत से मालूम होता था कि पन्द्रह-बीस हजार का मुआमला है।

प्रेम-यही मेरा अनुमान है। दो-चार दिन में कुछ न कुछ उपाय निकल ही आयेगा। या तो महाजन को समझा-बुझा दूंगा या दो-चार हजार दे कर कुछ दिनों की मुहलत ले लूंगा।।

माया-मैं चाहता हूँ कि बाबा को मालूम भी न होने पाये और महाजन के सब रुपये पहुँच जाये जिसमे यह झंझट न रहे। अब हमारे पास रुपये हैं तो फिर महाजन की खुशामद क्यों की जाय?

प्रेम----वह रुपये अमानत है। उन्हें छूने का अधिकार नहीं है। उन्हें मैंने तुम्हारी यूरोप-यात्रा के लिए अलग कर दिया है।

माया-मेरी यूरोप यात्रा इतनी आवश्यक नहीं है कि घरवालो को संकट मे छोड़ कर चला जाऊँ।

प्रेम—जिस काम के लिए वह रुपये दिये गये है उसी काम में खर्च होने चाहिए।

माया मन में खिन्न हो कर चला गया, पर श्रद्धा से ढीठ हो गया था। उसके पास जा कर बोला--अगर चाचा साहब बाबा को रुपये न देंगे तो मैं यूरोप कदापि न जाऊँगा। तीस हजार ले कर मैं वहाँ क्या करूंगा? मेरे लिए चलते समय पांच हजार काफी है। चाचा साहब से पचीस हजार दिला दो।

प्रेमशंकर ने श्रद्धा से भी वही बात कही। श्रद्धा ने माया का पक्ष लिया। बहस होने लगी। कुछ निश्चय न हो सका। दूसरे दिन श्रद्धा ने फिर वही प्रश्न उठाया। आखिर जब उसने देखा कि यह दलीलो से हार जाने पर भी रुपये नहीं देना चाहते तो जरा गर्म हो कर बोली-अगर तुमने दादा जी को रुपये न दिये तो माया कभी यूरोप न जायेगा।

प्रेम-वह मेरी बात को कभी नहीं टाल सकता।

श्रद्धा-और बातों को नहीं टाल सकता पर इस बात को हर्गिज न मानेगा।

प्रेम---तुमने यह शिक्षा दी होगी।