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बना अधबना छपा अधछपा रह गया था, सो अब श्री महाराजेश्वर अति दयाल कृपाल यसस्वी तेजस्वी गिलबर्ट लार्ड मिंटो प्रतापवान के राज में ॐ श्री गुनवान२ सुखदान कृपा-निधान भगवान कपताने जान उलियम टेलर प्रतापी की आज्ञा से और श्रीयुत परम सुजान दयासागर परोपकारी डाकतर उलियम हंटर नक्षत्री की सहायता से और श्री निपटे प्रवीन दुययुत लिपटन अबराहाम लाकट रतीवंत के कहे से उसी कवि ने संवत् १८६६ में पूरी कर छपवाया, पाठशाला के विद्यार्थियों के पढ़ने को।