दोनो मेले हुए। गोरा बादल की कथा गुरू के बस सरस्वती के महरबानगी से पूरन भई तिस वास्ते गुरू कूंव सरस्वती कूं नमस्कार करता हूँ। ये कथा सोल से आसी के साल में फागुन सुदी पुनम के रोज बनाई। ये कथा में दोर सेह बीरा रस बसी नगार रस हे सो कया। मोरछड़ो नाव गांव का रहने वाला कवेसर जगहा। उस गांव के लोग भोहोत सुकी है, घर घर में आनंद होता है, कोई घर में फक्रीर दीखता नहीं।'
शेरसिंह
ये मारवाड़नरेश विजयसिह के पुत्र थे। मारवाड़ी भाषा में राजकृष्णजस नामक पुस्तक गद्य-पद्य-मय लिखी। सं॰ १८५० में महाराज भीमसिंह द्वारा मारे गए।
उदा―
'अरज करै छै सैरदासी यौ। अरज सुणौ श्रीजगन्नाथजी। मौ अपराधी री साथ करौ प्रभु काटौ जम री पासी जी।'
कैबात सरबरिया
सं॰ १८५४ वि॰ के लगभग अनंतराय साखला की वार्ता गद्य पद्य मे लिखी।
उदा॰―
'कौलापुर पाटण नगर तट अनंतराय साखल राजा राज करति को पुरसाण हीदवाण दोन्यु राहासीर, जीको कौलापुर पाटण की साये कहे कदर साब जीणी ने देषयो थका हु जो सरूर दाये नहीं अ व।'