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इतनी कथा कह श्रीशुकदेवजी ने कहा कि महाराज, त्रेतायुग से वह बंदरही था तिले बलदेवजी ने मार उद्धार किया। आगे बलराम सुखधाम सबको सुख दे वहॉ से साथ ले श्रीद्वारका पुरी मे आए औ दुबिद के मारने के समाचार सारे जदुबंसियों को सुनाए।