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आया और इसकी क्या व्युत्पत्ति है। पश्चिम के विदेशियों ने भारत वर्ष का नाम हिंद या हिंदोस्तान रखा। मुसलमानों ने अपनी मनोवृत्ति के अनुसार हिंदू या हिंदी शब्द का अर्थ चोर, डाकू या दास कर दिया, शायद इस कारण कि जब उनका भारत पर अधिकार हुआ तब उन्होंने इस देश के निवासियो को दास कहना उचित समझा। फारसी में जादूगरनी के लिए 'हिदूजन' शब्द का प्रयोग होता है जिसका अर्थ 'हिदू स्त्री' है। तात्पर्य्य यह है कि हिंद या इससे बने हुए शब्दों का घृणित अर्थ कर दिया गया। इसी हिद या हिंदुओं की बोली हिंदुवी या हिदी कहलाई। अब यह विचारणीय है कि मुसलमानों और हिंदुओं के संपर्क के पहिले यह शब्द बन चुका था जिसका मुसलमानों ने पीछे बुरा अर्थ अपने कोष में लिख दिया या उसी समय गढ़ा गया। यह बात सिद्ध है कि यह शब्द मुहम्मद साहब से हजारों वर्ष पहले प्राचीन पारसियों के द्वारा प्रयुक्त हुआ जो यहाँ के 'स' का उच्चारण प्रायः 'ह' के समान किया करते थे। वे सिंधु नद के किनारे के प्रदेश को 'हिद' और वहाँ के निवासियों को 'हिदी' कहा करते थे। उनके चित्त में इन शब्दों का कोई बुरा अर्थ नहीं था। इस देश के रहनेवालो पर घृणा रखने के कारण मुसलमानों ने बाद को इसका घृणित अर्थ रख लिया।

निर्विवाद रूप से यह मान लिया गया है कि हिंदी साहित्य के गद्य का और ईसवी उन्नीसवीं शताब्दी का जन्म साथ ही हुआ है और हिंदी गद्य के जन्मदाता श्रीलल्लूजी लाल हुए है। परंतु देखा जाता है तो ये दोनों बाते ठीक नहीं जान पड़ती हैं। इनके कई शताब्दी पहिले की गद्य पुस्तके वर्तमान हैं, यद्यपि वे ब्रज भाषा,