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कर्मभूमि : 401
 

कुलीन स्त्री इस तरह आत्म-सम्मान खोना स्वीकार न करेगी।

उसका गर्जन सुनकर सारा घर थर्रा उठा और मनीराम को तो जैसे जबान बंद हो गई। नैना अपने कमरे में बैठी हुई भावज का इंतजार कर रही थी, उसकी गरज सुनकर समझ गई, कोई-न कोई बात हो गई। दौड़ी हुई आकर बड़े कमरे के द्वार पर खड़ी हो गई।

"मैं तुम्हारी राह देख रही थी भाभी, तुम यहां कैसे बैठ गई?"

सुखदा ने उसकी ओर ध्यान न देकर उसी रोष में कहा—धन कमाना अच्छी बात है, पर इज्जत बेचकर नहीं। और विवाह का उद्देश्य वह नहीं है जो आप समझे हैं। मुझे आज मालूम हुआ कि स्वार्थ में पड़कर आदमी का कहां तक पतन हो सकता है।

नैना ने आकर उसका हाथ पकड़ लिया और उसे उठाती हुई बोली—अरे, तो यहां से उठोगी भी।

सुखदा और उत्तेजित होकर बोली—मैं क्यों अपने स्वामी के साथ नहीं गई? इसलिए कि वह जितने त्यागी हैं, मैं उतना त्याग नहीं कर सकती थी। आपको अपना व्यवसाय और धन अपनी पत्नी के आत्म-सम्मान से प्यारा हैं। उन्होंने दोनों ही को लात मार दी। आपने गली कूचों की जो बात कही, इसका अगर वही अर्थ है, जो मैं समझती हूं, तो वह मिथ्या कलंक है। आप अपने रुपये कमाते जाइए, आपका उस महान आत्मा पर छीटें उड़ाना छोटे मुंह बड़ी बात है।

सुखदा लोहार की एक को सोनार की सौ के बराबर करने की असफल चेष्टा कर रही थी। वह एक वाक्य उसके हृदय में जितना चुभा, वैसा पैना कोई वाक्य वह न निकाल सकी।

नैना के मुंह से निकला—भाभी, तुम किसके मुंह लग रही हो?

मनीराम क्रोध से मुट्ठी बांधकर बोला—मैं अपने ही घर में अपना यह अपमान नहीं सह सकता।

नैना ने भावज के सामने हाथ जोड़कर कहा—भाभी, मुझ पर दया करो। ईश्वर के लिए यहां से चलो।

सुखदा ने पूछा—कहां हैं सेठजी, जरा मुझे उनसे दो-दो बातें करनी हैं?

मनीराम ने कहा—आप इस वक्त उनसे नहीं मिल सकती। उनकी तबीयत अच्छी नहीं है, और ऐसी बातें सुनना वह पंसद न करेंगे।

"अच्छी बात है, न जाऊंगी। नैनादेवी, कुछ मालूम है तुम्हें, तुम्हारी एक अंग्रेजी सौत आने वाली है, बहुत जल्द।"

"अच्छा ही है, घर में आदमियों का आना किसे बुरा लगता है? एक-दो जितनी चाहें, आवे, मेरा क्या बिगड़ता है?"

मनीराम इस परिहास पर आपे से बाहर हो गया। सुखदा नैना के साथ चली तो सामने आकर बोला—आप मेरे घर में नहीं जा सकतीं।

सुखदा रुक कर बोली—अच्छी बात है, जाती हूं, मगर याद रखिएगा, इस अपमान का नतीजा आपके हक में अच्छा न होगा।

नैना पैरों पड़ती रही, पर सुखदा झल्लाई हुई बाहर निकल गई।