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प्रेमघन सर्वस्व

हो इसी से यह पत्र बहुत शीघ्र ही पंचक मुहुर्त में जन्म लेगा जिसमें ईश्वर कर ऐसे ही चार और हो। यह हमारा पत्र मानों साक्षात पंच पांडव होगा अर्थात धर्म सिखाने से धर्म का घर, घर की ख़बर लाने से वायु का, राजनीति सिखाने से इन्द्र का और लोगों के मूर्खतारोग दूर करने से अश्वनीकुमार का इसमें असर है। नाम तो पांडु का हुई है। युधिष्ठिर की तरह सत्य बोलैगा, भीमसेन सा पोंगा और बड़े पेट का होगा, अर्जुन सा निर्भय शूर और नकल सहदेव सा मनोहर होगा और उपकारिता कुन्ती और मनोहारिता माद्री से उसका जन्म होगा। पांचाली की भाँति अपनी प्रिय पत्री प्रतिमा से संयुत नारायण की कृपा से महाभारत से युद्धों में भी पंचत्व न प्राप्त होगा इसी से पश्मिोतर देश, बिहार, मध्य देश अवध और पंचनद इन पाँचों देशों से इसकी वृद्धि के उपाय होने चाहिए।

यह पचड़ा तो हुआ अब इसका वर्णन सुनिये। भाषा सहज से सहज विषय लोकोपकारी और आनन्ददायक, पत्र संख्या पंचदश, निकलने का अवसर पंचदश दिन पीछे, मूल्य पंचमुद्रा और महसूल पंचदश पैसा।