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प्रेमघन सर्वस्व

के अनुसार ईश्वर को बारम्बार नमस्कार करते हैं—

लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः।
येषामिन्दीवरश्यामो हृदयस्थो जनार्दनः॥

चैत्र १९६४ वैक्री आ॰ का॰