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नीदर का नवीन वर्षारम्भ

चार्ल्स क्रास्थवेट का सिंहासन पर बैठना, हमारे नगर की प्रजा से शस्त्रास्त्र हरण करना आदिक स्थानिक और प्रादेशिक परिवर्तन हैं।

प्रधान राजनैतिक परिवर्तनों में मुख्य भारतीय व्यवस्थापक सभाओं में नवीन संशोधन के अनुसार निर्वाचिन प्रथा का प्रचलित होना, और उसमें अधिकांश कांग्रेस हितैषियों ही का सम्मिलित होना है॰ इसी भाँति दो विषय और भी चिरस्मरणीय और मंगलमय हुये। जो विशेषतः विलायत से सम्बध रखते हैं, अर्थात्—भारतपुत्र मिस्टर दादा भाई नौरोजी जी का बृटिश पार्लियामेंट में प्रवेश, और भारत में तुल्य सिविलसर्विस परीक्षा का आदेश॰ यों ही अब से भारत में रौप्यमुद्रा का न बनना और स्वर्ण मुद्रा के प्रचार की सूचना तथा गाँजा, भंग, और अफीम के निवारणार्थ बिचारसभाओं का नियत होना है। अत्यन्त लज्जास्पद और शोचनीय दुर्घटना अनेक स्थानों में हिन्दू मुसलमानों का परस्पर का कलह और घोर संग्राम है, उसमें भी प्रधानतः बरेली, बलिया, गोरखपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ तथा रंगून, बिहार, बम्बई और जूनागढ़ के घोरतर उत्पात के संग कहीं २ के राजकर्मचारियों का पक्षपात मिश्रित अन्यायाचरण कठिन भयावना और खेद जनक विषय है।

देश में नवीन व्यापारोन्नति में बम्बई प्रदेश के पूना नगर में सूई बनाने, और बंगाल में अँगरेजी औषधि बनाने, तथा अवध में लोहा ढालने, के कार्यालय खुले॰ बंगाल में पुनः ज्यूरी प्रथा का प्रचार हर्षदायक हुआ॰ हमारे प्रदेश के प्रधान नगर प्रयाग में जातीय सभा की बैठक सफलता से निर्बिन हुई! देशी राज्यों के विषय में महाराज अलबर और महाराज बेतिया की मृत्यु शोक दायक हुई। महाराज पटियाला ने एक गोरी मेम से ब्याह कर हिन्दू आग्रह से मूँ मोड़ा॰ ठाकुर गोण्डाल, मोर्वी, राजाबीविलो, महाराज

भाव नगर, कपूर्थला, गाइकवाड़, आदि बिलायत गये।

सबसे विशेष हर्ष का विषय यह है कि गत वर्ष बंगाल गवर्नमेंट ने प्यारी नागरी का विशेष सत्कार किया। न केवल अपने राज कर्मचारियों के देशी भाषा की परीक्षा ही में इस अक्षर का लिखाना उचित माना, प्रत्युत विहार प्रान्त के समस्त राजकार्यालयों में नागराक्षर को प्रतिष्ठित किया जो सर्कार का अवश्य असंख्य धन्यवाद के योग्य निर्मल न्याय मिश्रित सत्कार्य है॰ नागरी भाषा के अन्य साहित्य समाचारों के लिखने की आवश्यकता और अवकाश नहीं है, केवल ईश्वर से प्रार्थना है कि शीघ्र वह दिन भी लाए कि हमारे देश में भी इस अक्षर की वैसी ही प्रतिष्ठा हो! और ऐसा ही हो।