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प्रेमघन सर्वस्व

के व्याज से अनेक सज्जनों से कई पत्रों के द्वारा ऐसे ऐसे उपहास किये गये, कि जो कदाचित् बिनोद और मन बहलाव अथवा परिहास की सीमा से कहीं दूर थे, जिसे सुन हंसी के स्थान पर रोना आ सकता है।

होली में पारिहासिक नम्बर निकालने की प्रथा इधर नागरी नीरद ने निकाली थी, जिसके पीछे अनेक हिन्दी के पत्र उसका अनुकरण कर चले, जो एक बहुत उत्तम चाल है; नहीं तो कल कतिये हिन्दी पन दुर्गा पूजा ही से प्रायः परिहास पूर्ण पत्र प्रकाशित करते रहे। किन्तु अब लोग जिस प्रकार होली मनाने लगे हैं, वह कदाचित विनोद के आनन्द' को बिगाड़ देता है, जो त्याज्य है। लोगों ने देखा होगा कि एप्रिल फूल में एक चित्र माननीय पंडित मदनमोहन मालवीय का प्रयागी राघवेन्द्र ने छाप था जो कदाचित उचित नहीं कहा जा सकता, तो भी उस पर जो आलोचना हिन्दी प्रदीप ने की वह यद्यपि कुछ कड़ी कही जा सकती है किन्तु उसका उत्तर जो राघवेन्द्र ने दिया कहाँ तक वह पश्चाताप के योग्य है न्यायवान जन सहज ही अनुमान कर सकते हैं। योंही कुछ दिन पूर्व जयपुरी समालोचक में एक खुली चिट्टी प्रकाशित हुई थी उसमें भी पंडित मदनमोहन मालवीय के विषय में कुछ ऐसे शब्द व्यवहृत किये गये थे, की जो परम असभ्यों में भी परस्पर कहने पर कलह के हेतु होते हैं। यह दोनां पत्र दो सम्भावित सज्जनों के द्वारा प्रकाशित होते और नये होने पर भी प्रतिष्ठित माने जाते हैं। फिर यदि उनमें ऐसे लोगों के भी अर्थ अवाच्य प्रयोग होते जो देश के अनन्य और अनुपम अग्रसर और आर्य जाति के अभिमान के हेतु हैं, तो हम नहीं समझ सकते कि फिर उनको सामान्य सज्जनों की प्रतिष्ठा का कब और कितना ध्यान रह सकता है। क्या कहा जाय? क्या देश के सच्चे सेवकों को देश के शिक्षितों से ऐसा ही पुरस्कार पाकर देशहित व्रत से विरत होना होगा। पिछली होलियों में भी हमने राजा रामपाल सिंहादि के विषय में ऐसे ही अनुचित उपहास देखे थे। अत्रभगवान् के धार्मिक विश्वास के विषय में चाहे किसी को कुछ वक्तव्य क्यों न हो, परन्तु उनकी निज भाषा सेवा की न्यायतः, हम लोग कब अवहेलना करके उनकी प्रतिष्ठा पर ग्राघात करने का साहस कर सकते हैं।

अब हम इस प्रथा के प्रचार के विषय में सोचते हैं तो उर्दू भाषा के पत्र आपस के झगड़ों में तो प्रायः ऐसी बेढंगी बोलियां बोलते थे, किन्तु आरम्भ में हमारी भाषा में कुछ कुछ ऐसे कठिन शब्दों में उत्तर प्रत्युत्तर की प्रणाली स्वामी दयानन्द जी सरस्वती हो ने चलाई और पीछे उनके अनुग़ामियों ने