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अलौकिक लीला
अलौकिक लीला, को कवि ने एक महाकाव्य के ढाँचे पर लिखना प्रारम्भ किया था, पर इसको कवि पूरा न कर सका। कथानक तो कृष्ण का मथुरागमन ही है, अक्रूर का कंस के आवेदन पर कृष्ण को लाने जाना और कृष्ण का मथुरा आगमन-—बस यहीं तक कवि इस काव्य को लिख सका।
कृष्ण के शक्ति, शील, और सौन्दर्य तीनों गुणों में शक्ति को ही प्रधान सिद्ध करना—कृष्ण काव्य में उनकी नवीन सूझ थी, और उसी को उन्होंने इस काव्य में चित्रित किया है।
सं० १९७२