पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/३८०

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(१)
स्वागत पत्र[१]
बरवै


भारत देश हितैषी भाई लोग,
आवहु प्यारे साँचे स्वागत जोग।
स्वागत स्वागत तुम कहँ बारम्बार,
आगत के हित स्वागत सुभ सतकार॥
तासों स्वागत सादर देत सुवेस,
नम्र भाव सों पश्चिम उत्तर देस।
जानि परम प्रिय तुम कहँ पूजन जोग,
अतिथि रूप सों आए जे इत लोग॥
करन देश उद्धारहिं काज न आन,
सबै सबै गुन रासी सबै सुजान।
बहुत दिनन सों आरत भारत देस,
सहत प्रजा नित जिन की कठिन कलेस॥
तिनके दुख हरिबे कहँ तहँ के लोग,
उठे बाँधि निज परिकर यह शुभ जोग।
ताहि देखि अस को जो नहिं हरखाय,
और मिलैं जब वे घर बैठहिं आय॥
कहौ हरख की तब किमि सीमा होय,
बनैं प्रेम मतवाले किन सुधि खोय।


  1. भारत की आठवीं जातीय सभा प्रयाग में आये हुए प्रतिनिधियों की सेवा में विरचित।