पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/३७१

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भुजङ्गप्रयात


नवाबौ चले धायकै रामपूरी।
बहावल पुरी हू लिए सैन रूरी॥
चले झींद, नाभा, नृपौ पट्ठियाला।
कपूरथला, कोटला साजि माला॥

दोहा


चले फरीदी कोट नृप तथा राज सिर मौर।
पहुँचे खान खिलात के सजि सेना तिहि ठौर॥
लिमड़ी, कोल्हापूर नृप, कच्छ, खैरपुर रान।
सहेर मोकला के चले सजे सैन सुल्तान॥
टिपरा नृप, करि कूच नृप पहुँचे कूच बिहार।
मनीपूर नृप, सिकम के आये राजकुमार॥

भुजङ्गप्रयात


कहाँ लौं भला नाम सूची सुनावैं।
कहे कौनहूँ भाँति क्यों पार पावैं॥
बचो भूप को आज है देस माँही।
सजे सैन जो हैं इहाँ आय नाहीं॥
धनी औ गुनी देस के जौन मानी।
सबै हैं जुरे राजधानी पुरानी॥
सबै सक्ति के बाहरै साज साजे।
परै जानि साधारनौ लोग राजे॥
सबै देस औ दीपं के लोग आये।
न जाने परैं आपने औ पराये॥
चाले हाथियों के जबै झुण्ड कारे।
मनौ मेघ माला धरा आज धारे॥