लालित्य लहरी
बिहारी सतसई के जोड़ पर प्रेमघन जी ने भी एक सतसई लिखने का निश्चय किया था, लालित्य लहरी के अन्तर्गत दोहों की रचना उसी विचार से कवि ने प्रारम्भ की थी, पर यह कार्य कवि का पूरा न हो सका।
सं॰ १९५९