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होली की नकल भारतीय प्रजा की दीनता दरिद्रता का ध्यान अंग्रेजों को नहीं है, ऊपर से इन- कम टैक्स लग रहा है, इस अन्धेर पर कवि हृदय क्षुब्ध हो उठा, यहीं से उठी असन्तोष कोभावना आगे चल कर प्रेमघन जी के काव्य में असन्तोष की भावना को जगानेवाली सिद्ध हुई। --सं० १९४२