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कलिकाल तर्पण
इसके अन्तर्गत कतिपय राजनैतिक आख्यानों का वर्णन है--जैसे सिकन्दर का आक्रमण आदि। कवि ईश्वर से कहता है और प्रश्न करता है कि अगणित बलिप्रदानों के ऊपर भी आप तृप्त नहीं हुए, क्या कारण है! कवि ने एक अन्योक्ति के रूप में भारत पर हुए विदेशी आक्रमणों, क्षतियों का वर्णन इसके अन्तर्गत एक करुनगाथा के रूप में प्रस्तुत किया है।
—सं० १९४०