घर
बेतरतीब
लॉग-इन करें
सेटिंग्स
दान करें
विकिस्रोत के बारे में
अस्वीकरण
खोजें
पृष्ठ
:
प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/१४३
भाषा
ध्यान रखें
सम्पादित करें
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
बृजचन्द पंचक
इसमें भी कवि ने कृष्ण की स्तुति की है—जिनमें कवि के कवित्व का आभास मिलता है।
—सं० १९३२