पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/१४३

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बृजचन्द पंचक

इसमें भी कवि ने कृष्ण की स्तुति की है—जिनमें कवि के कवित्व का आभास मिलता है।

—सं० १९३२