पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४४८

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कविता की उत्कृष्ट कला को देखना और काव्य-रस का प्रास्वादन करना चाहते हो तो सैकड़ों काब्या-ग्रन्थ न पढ़ कर "सूक्ति-सरोवर" को पढ़िए । इसमें सूरदास और केशव, तुलसीदास और बिहारी, मतिराम और भूषण, पद्माकर और देव, महावीर प्रसाद द्विवेदी और नाथूराम इत्यादि की ऐसी रसीली और चमत्कार-पूर्ण उक्तियों का संग्रह है कि कोई भी काव्य-प्रेमी प्रसन्न हुए बिना नहीं रह सकता । एक एक उक्ति अमूल्य है और कई ऐसी हैं जिन पर लाखो रुपये न्यौछावर किये जा चुके हैं। काव्यरसिकांके लिए यह नई पुस्तक है। २॥) इसमें देव-धार, 'प्रकृति-घाट,' 'ऋतु-घाट,' 'गार-धाद' और 'मानव-धार' नामक ५ घाट हैं, और प्रत्येक घाट में भिन्न भिन्न विषयों की एक एक बढ़ कर उक्तियाँ, व्याख्या पूर्वक दो गई हैं कि हिन्दी का साधारण ज्ञाता भी उक्ति के भाव और चमत्कार को सरलता से समझ सकता है। संग्रह कर्ता और व्याख्याता हैं हिन्दी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लाला भगवानदीन जी जो हिन्दी के मर्मश विद्वान् तथा सुकधि हैं। पुस्तक अच्छे मोटे पेंटीक कागज़ पर छपी है। पृष्ठ-संख्या लगभग ५०० है। मूल्य केवल २॥) ३-प्रिया-प्रकाश-यह केशवदासकृत 'कविप्रिया' नामक ग्रंथ की टीका है। यदि आप अलंकार शास्त्र का अच्छा शान संपादन करना चाहते हो, तो बिना इस ग्रंथ को पढ़े निस्तार नहीं। कई पक ऊंची परीक्षाओं में यह पुस्तक पाठ्य ग्रंथ है "अवशि देखिये देखन जोगू" ! मूल्य २२), २) ४-बिहारीबोधिनी बड़ी (अर्थात् बिहारी सतसा की पूरी टीका) यह वही पुस्तक है जिसको लोग पपीहा की तरह पाद 1