पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४१८

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सोरहवाँ प्रभाव भावार्थ-व्यस्तसमस्तोत्तर अलंकार में जो अंतिम उत्तर हाता है वह जंजीर की कड़ियों की तरह होता है अर्थात् आदि वर्ण में एक एक अक्षर जोड़ते जाते हैं और यह एक एक प्रश्न का उत्तर होता जाता है। (यथा) मूल-को शुभ अक्षर, कौन युवति योधन बश कीन्ही । बिजय सिद्धि संग्राम राम कहँ कौने दीन्हीं ॥ कंसराज यदुवंश बसत कैसे केशव पुर । बट सों कहिये कहा नाम जानो अपने उर ।। कहि कौन जननि सब जगत की कमल नयनि कंचन बरनि । सुनि बेद पुरानन में कही सनकादिक 'शंकरतरुनि ॥३॥ भाषा-(१)-शुभ सूचक अक्षर कौन है (२) योद्धों ने किस युवती को अपने वश में कर लिया है, (३)-राम को विजय किसमे दी, (४)-कंस के राज्य में यदुवंश कैले बसता था, (५) बटवृक्ष का अन्य नाम क्या है सो अपने उर में समझो, (६) कमलनैनी, कंचमवरणी समस्त जगत की माता कौन है। इन छहाँ प्रश्नों का एक उत्तर (संक्षेप से) बेद पुराणों के अनुसार सनकादिक ने यह दिया कि 'शंकर तलनि। इसे यो समझिये। ( ब्याख्या)-पहले प्रश्न का उत्तर है 'श'। दूसरे का उत्सर है शंक' । तीसरे का है 'शंकर'। चौथे का है 'शंकर' । पांचवें का उत्तर है 'शंकरतरू' और छठे का है 'शंकरतलनि' (पार्वती)