पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/२२०

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दसवाँ प्रभाव भावार्थ -अमरता सूचक शब्दों से मरण सूचक व्यंग द्वारा कार्यारंभ में बाधा दाजाय वह मरणाक्षेप है। (TOT) मूल नाके के किबार दैहौं द्वार द्वार दर बार, केशोदास आस पास सूरज न आवैगो । छिन में छवाय लेहौ ऊपर अटानि आजु, आंगन पटाय देहौ जैसे मोहिं भागो । न्यारे न्यारे नारिदान मूंदहौं झरोखे जाल जाइहै न पानी, पान पावन न पाबैगो । माधव तिहारे पीछे मोपहँ मरण मूह, श्रावन कहत सो धौ कौन पेंड़े आवैगो ॥६॥ शब्दार्थ-दर = छोटा द्वार (खिड़की) बार = बड़ा द्वार (फाटक ) । नारिदान = नाबदान, पनारा। पैड़ा = रास्ता। भावार्थ -लरल और स्पष्ट है। (व्याख्या)-शब्दार्थ तो यह है कि मौत आने न पावगी, पर ब्यंग यह है कि तुम्हारे जाते ही प्राय छोड देगी। मरण का भय दिखाकर गमन को रोकना यही मरणाक्षेप है। ६-(अाशिषाक्षेप) मूल-आशिष पिय के पंथ को, दोनै दुःख दुराय । आशिष को आक्षेप यह, कहत सकल कविराय ॥१७॥ Tare.com F-अपना दुःख छिपाकर, कार्य के लिये अपनी प्रसन्नता प्रकट करना अाशिषापक्षेप है।