पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/१७०

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१६० प्रिया-प्रकाश के खंडन करने वाले अर्थात् सत्य और यथार्थ मंत्र देने वाले हैं। (नोट)-'भूषन, भूपन, दूषन दूषन'-के अनेक लोग अनेक प्रकार के अर्थ करते हैं, पर वे अर्थ हमें नहीं जंचते, क्योंकि बह छंद मंत्री की प्रशंसा का है अतः ये शब्द मंत्री ही के विशेषण होने चाहिये (पुनः) मूल-युद्ध जुरे दुरयोधन सो कहि को न करै यमलोक बसीत्यो। कर्ण, कृपा, द्विज द्रोण, सो बैर कै काल बचै बल कीजै प्रतीत्यो। भीम कहा बपुरो अरु अर्जुन नारि नँग्याक्त ही बल रीत्यो । केशब केवल केशव के मत भूतल भारत पारथ जीत्यो ॥१६॥ शब्दार्थ-बसीत्योबसती (निवासस्थान )। को न करै यम- लोक बसीत्यो यमलोक में कौल न बसैगा (कौन मारा न जाता )। काल बचै बल कीजै प्रतीत्यो क्या ऐसा विश्वास हो सकता है कि काल अपने बल से बच जाता (न बचता) नारि नैन्यावत हो बल रीत्यो स्त्री (द्रोपदी) को नंगी करते समय ही वे बलहीन हो गये थे। पारथ = ( पृथा के पुत्र ) युधिष्ठिर। भावार्थ-दुर्योधन से युद्ध करके यमलोक कौन न जाता? कर्ण, कृपाचार्य और द्रोणाचार्य से बैर करके क्या काल भी निज बल से बच जाता ? भीम और अर्जुन की ज्या हकीकत है, वे तो द्रोपदी चीरहरण के समय ही हतबल हो चुके थे। केशवदास कहते है कि केवल कृष्ण के मंत्र से युधिष्टिर ने भारत युद्ध में विजय पाई।