पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/९७

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हीरविजय सुरि १११ के तार पर, पृथ्वी के पेट में ररा दिये जाते है । प्रलयांत में उन सब शरीरों की आत्मायें अपनी-अपनी नायगे से निकल- कर खुदा नाम के परमेश्वर के सामने सही होंगी। पदा उस समय सब के पुण्य पाप का विचार पक्षपातरहित होकर, रंगा । सयको पुण्य और पाप का फल उस समय पर उमी तरह देगा जिस तरह कि पृथ्वी, उसमें बोये गये योजा का फल, देती है। परवर्ग को भेज दिये जायेंगे, जिन्दै नामा प्रकार के भोग-अप्सरादि-प्राप्त होंगे और कुछ नरक को भेजे जायंगे, जदों उन् अनिर्वचनीय दुव भोगने परगे। महात्मा !आप कृपा करके पतलाप किरान में जो ये बात लिसीसच है यायल मामाशयम के समान निर्मूल है।" 'गावरनं मम सरे गुराग त निक्षिप्यते भ्याग इपक्ष ममातिथियों पर irrn महरापरमेश्वरल्याएमाली गाधिपोला । सपाय गृप्या परिपगला योपिमा Immm पानिमायाति गुजारे RT भो। पिwwing गा र सिर Trmire HIT मि पार Trm amrrit Pawr TER fire Trir fort tirri, mir