सुखदेव मिश्र नग्न में रखने से अनेक अलौकिक काम करने की शक्तिया जाती है। यह सुनकर मियजी ने याहा-'यस, इसमें इतना दी गुण दे" यह कहकर उन्होंने उसे गगा में फेंक दिया। इस पर यह आगतुक घटुत कुपित हुया और इनको युग भसा फहने लगा। यह देखकर मुसदेवजी ने अपने दोनों हायों की अजली यनाकर चुपचाप गंगा के भीतर डाली और उसमें भरी हुई वैसी ही फोई बीस-पचीस गुटिकायें निकाली। तय उस महात्मा से आपने कहा कि इनमें से मापफी जो गुटिका हो उसे श्राप पहचानफर रो लें। यह अघटित घटना देनफर पहातुक अपाय हो रहा सौर मुपदेयजी की स्तुति परता या मार्गम्य दुरा। एक और भी इसी तरह की घटाएका यार हुई। इस पार भी ये पता कर रहे थे कि एफ शिक्षा मे मिला मार और उगफ पसिहासा पा मुर, दिशा दाय लगाये, अपनी सर फेर दिया। पतु पो ही पार पात चपाती पानाईत्यादीपद निदाना, मासा, फिर पर नशे गरम हो गया। पास गदर्तक परमार पिगमेनरोसा। शिम मरद मुगपतीला नदीमा की TET गाय मीमही . मापE ARTMErnar पारमा iitml
पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/८९
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