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प्राचीन पंडित और कवि

प्राचीन पंडित और कवि देखने का इरादा किया । लोगों के प्रवाद पर उनको विश्वास न हुया । अतपच एक दिन वे स्वयं सुसठरजा की कुटी में आये । सुखदेवजी महात्मा थे; उन्हान अतान से मर्दनसिंह के श्राने का कारण जान लिया। अतएव, जहाँ राव मर्दनसिंह उनकी कुटी के प्रांगण में श्रा तहाँ उन्होंने कहा-"साही, राव साहब के लिए श्रासन ले.या" । यह कहते ही वह सुस्वरूपा स्त्री कुटी के भातर से श्रासन लेकर निकली। यथास्थान उसने पालन रिहा दिया । विलाफर वह राव के सामने ही दूसरी ओर बाहर चली गई। श्रासन विछ जाने और मर्दनसिंह के बैठ जाग पर, फिर सुखदेवजी ने साही को पुकारा और जल लाने का आज्ञा दी। पूर्ववत् फिर एक वेसी ही साही कुटीस निकली । उम्मने जल निया और वह भी बाहर चली गई। सुखदेवजी की याज्ञा के अनुसार तीसरी साही पान लाइ चौथी पुष्पमाला लाई, पाँची कुछ और लाई । इस प्रकार दस पॉच साही उस कुटी के भीतर से निकली और अपना अपना काम करके वाहर चली गई। यह लीला दतका राव मर्दनसिंह हैरान हो उठे, श्रातक और भक्तिभारत हो गई । उन्होंने सुखदेवजी को चार- वार सप्रेम और समय प्रणाम किया और अपनी शक्तिका पर खेद प्रक्ट किया। राव मर्दनसिंह की इस कारवाई मिश्र महाराज के पूजन पाठ में कोई व्यतिकम या भिन्न ता