पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/७०

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८२
प्राचीन पंडित और कवि

८२ प्राचीन पंटित और कवि है और अपनी पुस्तकों में इन्होंने अपना नाम सुखदेव ही लिया है। इसी से हमने भी इनका यही नाम लिराना उचित समझा। ग्रियर्सन साहय और शिवसिंह सेंगर ने, इनके विषय में, बड़ा गड़बड़ लिया है। एक जगह श्राप इनको "सुखदेव मिसर" लिखते है और कंपिला के रहनेवाले बतलाते है । दूसरी जगह आप इनका नाम "सुखदेव कवि" लिखते है और अंतर्वेद (गंगा-यमुना के बीच का भाग) इनका देश बतलाते हैं। तीसरी जगह श्राप इनका नाम "सुखदेव मिसर फधि" लिखते हैं और दौलतपुर इनका स्थान यतलाते है । ग्रियर्सन साहय ने अपनी पूर्वोक्त पुस्तक विशेप करके शिवसिंह सरोज के आधार पर ही लिसी है। - कहीं कहीं तो आपने शिवसिंह के लेख का शाब्दिक मनु याद तक कर डाला है। इससे शिवसिंह-सरोज में सुखदेव जी के विषय में जो गड़बड़ है वही ग्रियर्सन साहब का पुस्तक में भी है। साहय को शिासिंह सरोज आदि में जसा मिला है वैसा ही उन्होंने अपनी पुस्तक में लिख दिया है। ग्रियर्सन साहब ने यह पुस्तक लिखकर हम लोगों पर बहुत उपकार किया है। हम उनके कृतज्ञ है और बहुत कृतज्ञ है। जहाँ तक कवियों का सही-सही हाल उनको मिला यहाँ तक उन्होंने लिसा । जान-बूझकर उन्होंने लिखने में परवाही नहीं की। परंतु कहीं-कहीं उनके लेख में भ्रम जस्र हो गया है। एक जगह श्राप लिखते है-