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भूमिका
पापुर हो सकता है। अन्यथा बरार में यह कहीं और ही जगह रहा होगा।
इस छोटी-सी पुस्तक में ८ प्राचीन विद्वानों के विषय में लिखे गये लेखों का संग्रह है। सुखदेव मिश्र गहुत पुराने नहीं,पर कल की भी बात आज पुरानी हो जाती है। इस रटि से वे भी नये नहीं, क्योंकि उनको भी हप इस समय कोई दो मी वर्ष हो चुके। इसके सिवा उनके चरित में पिलशगतापूर्ण बुध अलौकिक मानें भी है,जिनसे विशेष मनोरजन हो सकता है। इस सरह के लेखों में कषियों के समय काम का विचार नहीं किया गया। लेए पहले का है उसे पहले,जी उमर पाद का घद उसक बाद रस्मा गया। प्रतपय पद माम लेम्बों के समय के अनुसार बपियों और परितों के समय के अनुसार नहीं।
यदि यह पुस्तक हिंदी के प्रेमियों पोपमा माई तोहम भिन-भिन्न विषयों के अपने भयाग्य लेग मी पुस्तकरूप में प्रकाशित करेंगे।
महावीरप्रसाद