पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/६३

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मधुरवाणी "चिंता मत कर । तेरी इस इच्छा को मधुरवाणी पूर्ण करेगी। दूसरे दिन रघुनाथ मागे मधुग्यागी को स. रविन गमायण का संस्कृतानुवाद करने की बात दी। यह कहने की प्रारभ्यक्ता नहीं कि मधुरवाणी ने अपने संरक्षक की साहा का पालन यही भी योग्यता से किया। मकाव्य में ४मर्ग और १५०० लोक है। प्रथम सर्ग के पदले अस्तीमग्लोकों में अनेक देवाचताओं की स्तुति और प्रार्थना है। अगले ४ सोपा में (३-४ में) मामांकि, प्याल, कालिदाम, धागा आर माय शादि मानीन पनियों की प्रामा। एसो यागे दोनों में (४३-४५ में) शील प्राधुनिक परियों की विदा । निललिमित तालीमय लो में उमो मुशयिता को दरमा विभूषित मोर्षशागिणी नागे मनाला भि मंशतिmaal परिकामrafini गुपि । पारगानाmar Marar लगाrirrfani TRArme, inframa free TIP, ANK मा अपने rrrr . म RARink