पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/५१

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फारसी-कवि हाफिज नी है और अपार्थिव भी । उसका सृष्टि सादर्य-वर्णन, उसकी मनोमोहिनी शृंगारिक उक्तियाँ और मद्य प्राशन विष- यक उमके विलक्षगा कथन प्रादि का विचार करके विद्वानों का मत है कि इन सब बातों को हाफिज ने ईश्वर को लक्ष्य करके नहीं कहा । इन बातों का माधुता अर्थात् प्रतीरी से यहुत कम सयंध है। हाफिज़ की कविता स्वाभाविक है। उसकी कल्पना शक्ति बहुत उदंड है। उसको किमी किमी कल्पना को सुनकर वय में आतकसा उत्पन्न हो जाता है। उसने कोई-कोई यात वदत ही अद्भुत कही है। उसके दीवान की कामावृ. सियौं यलिन, लदन भीर पेरिस में छपी है। उसकी कविता अनुराद भी विदेशी भागों में हो गये हैं। मर विति. यम जॉस भीर प्रयासरेल, यमामन और शिहर बेलाट मादि ने उस पर गहुन पुछ लिखा। बंशा के भीगत के एम् जोहण, पम्० ए०, एल गलगी . ने भी पोषाने हाताभनुवाद गरेजी में किया। प्रारिम में शिक्षक विना ना भति प्रसार कि महानि मामानिक मनुष्यों को पहल गती

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