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प्राचीन पंडित और कवि

प्राचीन पंडित और कवि महावीरचरित से जो पतियाँ हमने उद्धृत की हैं वही पक्तियाँ, कुछ परिवर्तित रूप में, मालतीमाधव में भी है। वहाँ उनका श्रारंम इस प्रकार हुश्रा है-"श्ररित दक्षिणा- पथे विदर्भेषु पद्मनगर नाम नगरम् "-जिससे सिद्ध होता है कि दक्षिणापथ के विदर्भ-देश में पद्मपुर अथवा पद्मनगर था। विदर्भ का आधुनिक नाम बरार है, परतु वरार-प्रात में पद्मपुर का कहीं पता नहीं। यह नगर इस समय अस्तित्व हीन हो गया जान पड़ता है । मालतीमाधव के टीकाकार जगद्धर ने पद्मपुर और पद्मावती में अभेद बतलाया है, यह ठीक नहीं । पद्मावती, मालतीमाधव में वर्णन किए गए मालती और माधव के विवाहादि का घटना स्थल है। डॉक्टर भांडारकर का मत है कि भवभूति का जन्मस्थान वरार में कहीं चॉदा के पास रहा होगा । यहाँ कृपण-यजुर्वेद को तैत्तिरीय शासावाले अनेक महाराष्ट्र ब्राह्मण अब तक रहते हैं। उनकी देशस्थ संशा है और उनका सूत्र श्रापस्तंर है। चाँदा के दक्षिण और दक्षिण पूर्व उसी घेद और उसी सूत्रपाले अनेक तैलंग वाहाण मी रहते हैं। भयभूति ने अपने नाटकों में गोदावरी का जो वर्णन किया है उससे जान पड़ता है कि घह उस नदी से विशेष परिचित था। पमपुर शायद गोदा घरी के तट पर ही अथवा कहीं उसके पास ही रहा होगा। मालतीमाधव की घटनाएँ पद्मावती-नगरी में हुई है। कनिने इस नगरी के चित्रों का कुछ-कुछ पता दिया है।