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प्राचीन चिह्न

१—साँची के पुराने स्तूप

इस लेख के द्वारा हम लगभग २५०० वर्ष की कुछ पुरानी इमारतों का संक्षिप्त वर्णन सुनाते हैं। वे इमारतें बौद्ध लोगों के स्तूपों का एक समूह है। इसके बतलाने की आवश्यकता नहीं कि स्तूप किसे कहते हैं। जिसने बनारस में सारनाथ का स्तूप देखा है वह स्तूप का मतलब अच्छी तरह जानता होगा।

किसी-किसी का ख़याल है कि घर और मन्दिर इत्यादि बनाने और पत्थर पर नक्क़ाशी का काम करने की विद्या हम लोगों ने ग्रीसवालों से सीखी है। या, अगर सीखी नहीं, तो उनकी विद्या से थोड़ा-बहुत लाभ अवश्य उठाया है। परन्तु यह बात निर्म्मूल है। ग्रीकों और हिन्दुओं का सङ्घर्ष, ईसा के पहले, चौथी शताब्दी में हुआ। परन्तु साँची के स्तूप इस बात की गवाही दे रहे हैं कि उससे भी पहले भारतवर्ष के वासियों ने अद्‌भुत-अद्‌भुत मन्दिर बनाना आप ही आप सीख लिया था। इन स्तूपों से एक और बात का भी पता