पृष्ठ:प्राचीन चिह्न.djvu/११२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०६
प्राचीन चिह्न


नामक एक मनुष्य अपनी स्त्री और बहन के साथ आया। देखने में उसका डील डौल बहुत भव्य था। वह अपने को “सूर्य का पुत्र" कहता था। उसने दूर-दूर जाकर व्याख्यानों द्वारा वहाँ के प्राचीन निवासियों को अपने अधीन कर लिया। कुछ दिनो में उसने कजको नामक नगर बसाकर उसे अपनी राजधानी बनाया। मानको कपक ने क्रम-क्रम से सारा पेरू अपने अधिकार में कर लिया और आप वहाँ का राजा हो गया। वह धार्मिक, न्यायी और बुद्धिमान था। उसने लोगो में धार्मिक और नैतिक शिक्षा का प्रचार किया; सब को खेती करना,कपड़ा बुनना और उत्तमोत्तम घर तथा मन्दिर बनाना सिखलाया। उसके अनन्तर उसी वंश के ११ राजे और हुए। उन राजो ने कला-कौशल की बड़ी उन्नति की। जहाँ-जहाँ उन्होने अपना राज्य फैलाया, वहाँ वहाँ अनेक मन्दिर बनवाये, अनेक सडके बनवाई'; अनेक धर्मशालाये बनवाई ।ये राजे सूर्य के उपासक थे। इस उपासनावालो की ‘इन्का' संजा थी। इन्का लोगों के पहले भी जो लोग पेरू में थे वे वहाँ के जङ्गली मनुष्यों की अपेक्षा बहुत सभ्य थे, परन्तु सभ्यता का विशेष प्रचार इन्का राजो ही के समय में हुआ। इन्का लोगो के आचार-विचार और रीति-भॉति चीन के निवासियों से कुछ-कुछ मिलती है। इसलिए विद्वानों का तर्क है कि वे चीनवालो ही की सन्तति है। परन्तु कई बाते उनमे सी हैं जो हिन्दुओं से भी ममता रखती हैं। क्या आश्चर्य,