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कुतुब-मीनार

अक्षरान्तर——

व मनारह सुल्तान मुइज्जुद्दीन साम रा के अज़ हादसै बर्क उपतादा बूद बेहतर अज़ ऑकि बूद अज़ इरतिफ़ाय कदीमी बलन्द तर मरम्मत कर्दा शुद।

अर्थात——

मुइज्जुद्दीन साम का मीनार, जो बिजली से गिर पडा था, पहले से भी अधिक ऊँचा मरम्मत किया गया।

मीनार बनने के डेढ़ ही दो सौ वर्ष पीछे होनेवाला फीरोजशाह उसे मुहम्मद बिन साम का मीनार बतलाता है। यदि पृथ्वीराज ने उसे अपनी लड़की के यमुना-दर्शन के लिए बनवाया होता तो फ़ीरोज़शाह अपने आत्म-चरित में मुहम्मद बिन साम का नाम क्यों लिखता ?

इन बातो से तो यही सिद्ध होता है कि देहली विजय के उपलक्ष्य मे मुहम्मद बिन साम के नाम से इसे कुतुबुद्दीन ऐबक ही ने बनवाया। सम्भव है, पृथ्वीराज की कोई इमारत वहाँ पहले रही हो और उसी पर या उसको तोड़कर यह मीनार बनाया गया हो; परन्तु इस बात को सिद्ध करने के लिए प्रमाण दरकार है।

[दिसम्बर १९०३

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