पृष्ठ:प्राकृतिक विज्ञान की दूसरी पुस्तक.djvu/९१

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(८३) पड़े हुए हैं। इसमें से पानी भाप बनकर उठता है और बीच की नली में आता है, नली के चारों तरफ एक ठंडे पानी की नली है यहां पर भाप फिर ठंडी होकर पानी के रूप में श्रा- जाती है और वह पानी दाहिनी ओर बर्तन में इकट्ठा होता है । TOUDUTTU चित्र सं०४० तुम यह भी जानते हो कि भारतवर्ष की खेती को बहुधा मेह के पानी की आवश्यकता होती है और कभी २ ऐसा होजाता है कि मेह भी कम पड़ता है। ऐसी दशा में ओस से बड़ा सहारा मिलता है । ओस प्रतिदिन पृथ्वी की धरातल को तर कर देती है और इस प्रकार मेह की कमी को पूरा करती है । श्रोस से खेती को बड़ी सहायता मिलती है। Courtesy Dr. Ranjit Bhargava, Desc. Naval Kishore. Digitized by eGangotri