पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/७०

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ने लिखा है-"lt is more probable that the 'conquest of the south was the work of Bindusar " परन्तु इसका कोई प्रमाण नही है। प्रायद्वीप खण्ड को जीतकर चन्द्रगुप्त ने स्वर्णगिरि में उसका शासक रखा और सम्भवतः यह घटना उस समय की है, जब विजेता सिल्यूकस एक विशाल माम्राज्य की नींव सीरिया प्रदेश में डाल रहा था। वह घटना ३१६ ई० पू० में हुई। इस समय चन्द्रगुप्त का शासन भारतवर्ष में प्रधान था और छोटे-छोटे राज्य यद्यपि स्वतन्त्र थे; पर वे भी चन्द्रगुप्त के शासन से सदा भयभीत होकर मित्रभाव का बर्ताव रखते थे। उसका राज्य पाडुचेर और कनानूर से हिमालय की तराई तक तथा सतलज से आसाम तक था। केवल कुछ राज्य दक्षिण में ; जैसे --केरल इत्यादि और पंजाब में वे प्रदेश, जिन्हें सिकन्दर ने विजय किया था, स्वतन्त्र थे; किन्तु चन्द्रगुप्त पर ईश्वर की अपार कृपा थी, जिसने उसे ऐसा सुयोग दिया कि वह भी ग्रीस इत्यादि विदेशों में अपना आतंक फैलावे । सिकन्दर के मर जाने के बाद ग्रीक जनरलों में बड़ी स्वतन्त्रता-अराजकता फैली। ई० पू० ३२३ में सिकन्दर मरा। उसके प्रतिनिधि-स्वरूप पदिकम शासन करने लगा; किन्तु इमसे भी असन्तोष हुआ, सत्र जनरलों और प्रधान कर्मचारियों ने मिलकर एक मभा की। ई० पू० ३२१ में सभा हुई और मिल्यूकम वेवीलोन की गद्दी पर बैठाया गया। टालेमी आदि मिस्र के राजा समझे जाने लगे; पर आण्टिगोनस, जो कि पूर्वी एशिया का क्षत्रप था, अपने बल को बढ़ाने लगा और इसी कारण सब जनरल उसके विरुद्ध हो गये, यहाँ तक कि ग्रीक-साम्राज्य से अलग होकर मिल्यूकस ने ३१२ ई० पू० में अपना स्वाधीन राज्य स्थापित किया। बहुतसी लड़ाइयों के बाद सन्धि हुई और सीरिया इत्यादि प्रदेशों का आण्टिगोनस स्वतन्त्र राजा हुआ। थेस में लिरीमाकस, मिस्र में टालेमी और वेवीलोन के समीप के प्रदेश में सिल्यूकस का आधिपत्य रहा। यह सन्धि ३१९ ई० पूर्व में हुई। सिल्यूकस ने उधर के विग्रहों को कुछ शान्त करके भारत की ओर देखा। ___ इसे भी वह ग्रीक साम्राज्य का एक अंश समझता था। आराकोशिया, बैक्ट्रिया जेड्रोशिया आदि विजय करते हुए उमने ३०६ ई० पू० मे भारत पर आक्रमण किया। चन्द्रगुप्त उसी समय दिग्विजय करता हुआ पंजाब की ओर आ रहा था और उसने जब मुना कि ग्रीक लोग फिर भारत पर चढ़ाई कर रहे हैं, वह भी उन्ही की ओर चल पड़ा। इस यात्रा में, ग्रीक लोग लिखगे हैं कि उसके पास ६,००,००० सैनिक थे, जिसमें ३०,००० घोड़े और ९,००० हाथी, बाकी पैदल थे । इतिहासों से पता चलता है कि सिन्धु-तट पर यह युद्ध हुआ। 1. The same King (Chandragupta) traversed India with an army of 6,00,000 men and conquered the whole. (Plutarch -lives, in H. of A. S. Lit) ७०: प्रसाद वाङ्मय