पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/५३४

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मान्य होगा। इस पर प्रसादजी ने अपने हाथों से फैसला लिखा जिसकी प्रतिलिपियाँ करके सभी पक्ष ले गए मूल पंचायतनामा जो प्रसादजी के हाथों का लिखा और पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित है-प्रसाद मन्दिर में वह अभी भी सुरक्षित है । यह घटना टोडरमल परिवार के सन्दर्भ में तुलसीदासजी के फैसले की याद दिलाती है। यह अभिलेख अब एक साहित्यिक दस्तावेज है । उसवी प्रतिलिपि प्रसाद मन्दिर से मंगवा कर नीचे ___ "हम लोग आपस में बराबर सलाह करके काम को चलाने के लिये और उपस्थित कठिनाइयों को दूर करने के लिये-महाजन का रुपया अदा करने के लिए नीचे लिखे हुए नियमों के पाबन्द होते है । १-गोला का किराया और परजवट का काम बाबू सरजू प्रसाद के सुपुर्द होता है वह उसे उतार कर कोठी में जमा करावें और उसमें से बराबर का दो हिस्सा होगा जिसे कोठी दोनों आदमियों को अपना रोजमर्रा का खर्च चलाने के लिए दे देगी। २--आढ़त, खोंची, कौड़ी, नजराना, का काम शारदा प्रसाद को सुपुर्द रहेगा उसका इन्तजाम वह करेगे और कोठी में जमा करेगे -जिसकी आमदनी कुल कोठी का जरूरी खर्च देकर और गृहस्थी के नैमित्तिक कामों को चलकार महाजन के पास जायगी। उसमें और कोई अपना स्वार्थ नहीं कर सकता। ३-महावीरी का खेन बगैचा से शिवाला और पोखरा वगैरह का खर्च चलेगा। आमदनी कोठी में जमा होगी । और वही से दिया जायगा। ४-मकान मरम्मत और करनी व गृहस्थी के कार्यों को कोठी की आमदनी से चलाया जायगा । इनकम टैक्स-मालगुजारी वगैरह भी कोठी देगी। ५ -गहावीरी का खेत और बगैचा तथा रहने का मकान कारखाने का व गोला और पाम की जमीन परजवटकी व बाग छोड़कर मब बकीया जमीनों को बेचकर महाजन को अदा करने का प्रबंध सब लोग फौरन करेगे इसमें सुस्ती न होगी। ६-कोई बात नई करने के पहले आपस मे कमेटी करके राय कायम कर लेंगे ताकि फिर कोई झंझट न पैदा हो । ७-और हर एक महाजनों को सन्तोष देकर फौरन उनके रूपए को अदा करने का प्रबन्ध करेंगे। और ऐसा फेल हरगिज न करंगे कि हम में नया बखेड़ा हो या जायदाद पर कोई नया बोझ बढ़े। ८-पिंडरा की आमदनी भी माफ-साफ दिखलाई जायगी और सब महाजनों को दी जायगी काई शख्स अपने निजी खर्च का उसमें से न कर सकेगा। दुकान का खर्च उसी में से होगा जो कि बावू शम्भू प्रसाद करेगे।" ९-बदरी प्रसाद को ८ रु० महीना कोठी देगी और वह अपना निजी खर्च उसमें करें । २३०: प्रसाद वाङ्मय