पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/२४४

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के अनुसार इंद्र, शौवं (शवं ?) तथा नासत्य दुष्टात्माओं में गिने जाते हैं। "हाग" का भी विचार था कि अहुरमज्द का धर्म प्राचीन बहु-देववाद मूलक वैदिक विचारों से एक धार्मिक विद्रोह-रूप था। यद्यपि ऋग्वेद में मंत्रों के संकलन से यह सूचित होता है कि उस काल मे वैदिक धर्म समन्वयवादी हो गया था। उसमे सब प्रकार की भावनाओं के मंत्र मिलते हैं। फिर भी ईरानी आर्यों ने उसी धर्म के एक प्राचीन समुदाय को विकसित कर स्वतंत्र उपासना का प्रचार किया, उसमें वरुण-असुर की प्रधानता थी और सोमपान इत्यादि के संबंध मे कुछ नये सुधार किये गये थे। वैदिक आर्यों में इस तरह दो परस्पर-विरोधी संप्रदाय बन गये। इसके प्रमाण दोनों के धर्मग्रंथों में मिलते हैं। यह ईरानी धर्म, वरुण की प्रधानता के कारण, एकेश्वरवादी होने पर भी द्वैत अथवा द्वंद्व को मानने वाला था। अहुर (असुर) सब मलिनताओ से परे पवित्रात्मा और अह्निमान उसका प्रतिद्वंद्वी दुष्टात्मा। इस प्रकार संसार के भले-बुरे काम बांट दिये गये। यही सर्पाकृति अह्रिमान पिछले काल मे अन्य धर्मों के शैतान का रूप धारण करता है, जो स्वर्ग नष्ट करने के लिये उद्यत था। समवत इस स्वर्गनाश का सम्बन्ध अवेस्ता-वर्णित जल-प्रलय से है। एक प्रसिद्ध ग्रंथ (Conflict between religion and science) मे लिखा है कि इस द्वंद्व का समाचार यहूदियो ने पहले-पहल बेबिलोनिया मे, जहां वे बंदी थे, ७ वीं-८ वी शताब्दी ईसवी पूर्व में सुना। प्राचीन बंबिलोनिया, असीरिया और मीडिया के आर्यों की, अहुर व असुर की उपासना मे साम्य देखकर, विशेषकर यहूदियों के मुख से बैबिलोनिया-द्वंद्व की गाथा सुनने के आधार पर यहूदियों की धर्म-पुस्तक को सीमा का पत्थर समझने वाली भूल से यह कहा जाता है कि अपने ध्वंसावशेषों के द्वारा अपनी प्राचीनता का प्रमाण देनेवाले सुमेरिया देश से ही यह धर्म-संस्कार फैला है।' यहूदियों का जेहोवा भी ईरानी असुर-वरुण का नामांतर है। . 8. If the View is accepted that Ashur is Ansbar, it can be urged that he was imported from Sumeria-(p, 321, Myths of Babylonia). 2. For, as an ethical god Varun may be placed next to the Israclite Yehweh, and the difference the decay of Varun and the strenuous & successful fight of Hebrew prophets to uphold the supremacy of Yehweh needs more consideration (Universal History : Ch. 21, Stanley G. Cook). १४४. प्रसाद वाङ्मय