पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/२१७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

"त्रिकूटः शिशिरश्चैव पतंगो रुचकस्तयो। •निषधाद्या दक्षिणतस्तस्य केसरपर्वताः ॥" इसी त्रिककुद का उल्लेख ऋग्वेद में 'यद प्रसगें त्रिककुम्निवर्तदप' के रूप में आया है (१-१२१-४)। तिलक के कथनानुसार मेरुप्रदेश उत्तरीय ध्रुव में है । परन्तु इस सिद्धांत को भाचार्य सत्यव्रत सामश्रमी और अविनाशचन्द्र दास नही मानते। क्योंकि पारसी लोगों के ही कथनानुसार अवेस्ता के आर्यानावायजो (आर्य-निवास) में हिमप्रलय होने पर नायक यम आर्यों को लेकर वार प्रदेश की ओर गये। यह वार प्रदेश उत्तरीय ध्रुव के समीप की साइबीरिया मानी जा सकती है; क्योकि वहीं के लिये अवेस्ता में लिखा है-"अहुरमज्द ने उत्तर दिया, वहीं प्राकृत और अप्राकृत प्रकाश है। कभी-कभी चन्द्र, सूर्य और नक्षत्रों के दर्शन नही होते, लम्बी उषा में वर्ष भर का एक दिन होता है। और इधर ऐतरेय मे मिलता है कि कश्यप नाम के आदित्य 'महामेरु' नामक पर्वत पर सदा रहकर उसे प्रकाशित करते है। इसलिए मेरुप्रदेश वह नहीं हो सकता, जहां छह महीने का दिन और छह महीने का रात होती है। 'यत्रानुकामं पर त्रिनाके त्रिदिवे दिवः । लोका यत्र ज्योतिष्मन्तः ॥' ऋग्वेद (९-११३-९) में उक्त प्रदेश को सदा ज्योतिष्मान् बताया है। छह महीने का दिन और छह महीने की रात वाले 'वार' प्रदेश की गणना वह नही कर सकता जो उसके पहले आर्य-निवास वा मेरुप्रदेश के चौबीस घटे वाले दिन-रात के देशो मे नही रह . संसार का इतिहास लिखने वाले Hearenshaw का मत है कि अब तक के प्रमाणों से यही कहा जा सकता है कि मध्य एशिया आदिम मनुष्य की उत्पत्ति तुलनात्मक शब्दशास्त्र के जन्मदाता एडिलंग (Adelung), जिनका शरीरात १८०६ में हुआ, कश्मीर को मानव-जाति का पालना बताते थे और उसी को स्वर्ग समझते थे।' 8. There are uncreated lights and created lights The one thing missed there is the sight of the stars, the moon, and the sun and a year seems only as a day (p. p. 19 and 20, Vendidad). 8. Regions of central Asia, and it was there, so far as at present we can tell, that, from among the arthropoids, Primitive Man emerged (p. 12). 8. Adelung, the father of comparative philology who died in प्राचीन आर्यावर्त : ११७