पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/१३१

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नाटक को हिन्दी में वैसा ही स्थान मिलना चाहिए, जैसा कि शरीर में मस्तिष्क को। हिन्दी नाटकों के लिए स्थान और एक उपयुक्त स्थान देने के लिए हिन्दी- प्रेमियों से अनुरोध करते हुए यह भी कहना अनुचित न होगा कि इसे हृदय में भी स्थान दीजिए। १. इसका उल्लेख हिन्दी साहित्य सम्मेलन के कानपुर अधिवेशन के कार्य विवरण में व्याख्यान रूप में बताया गया है, और सम्मेलन से इसकी प्रति मुझे मिली थी । संभव है लिखित भाषण भेज दिया हो : निश्चय ही वे गए नही थे। (सं०) हिन्दी में नाटक का स्थान : ३१