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[रामगुप्त धीरे-धीरे हटता हुआ चन्द्रगुप्त के पीछे पहुँचकर कटार निकाल कर उसे मारना चाहता है/चन्द्रगुप्त को विपन्न देखकर कुछ लोग चिल्ला उठते हैं/जब तक चन्द्रगुप्त घूमता है तब तक एक सामन्त-कुमार रामगुप्त पर प्रहार करके चन्द्रगुप्त की रक्षा कर लेता है/रामगुप्त गिर पड़ता है]
सामन्त-कुमार––राजाधिराल चन्द्रगुप्त की जय!
परिषद्––महादेवी ध्रुवस्वामिनी की जय!
य व नि का
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ध्रुवस्वामिनी : ७२१