पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 2.djvu/६९

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सूचना यह दृश्यकाव्य गीति-नाट्य के ढंग पर लिखा गया है। तुकान्त-विहीन मात्रिक छंद में वाक्यानुसार विराम-चिह्न दिया गया है। यद्यपि हिन्दी में इस ढंग की कविता का प्रचार नही है, तथापि अन्य भाषाओं में (जैसे संस्कृत मे कुलक, अंगरेजी में ब्लैक वर्स, बंगला में अमिताक्षर छन्द आदि) इसका उपयुक्त प्रचार है। हिन्दी में भी इस कविता का प्रचार कैसा लाभ-दायक होगा, इसी विचार के लिए आज यह काव्य पाठकों के सामने उपस्थित किया गया है। --इन्दु, कला ४, खंड-१, किरण २