पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 2.djvu/३०५

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पात्र जनमेजय तक्षक वासुकि काश्यप वेद उत्तंक आस्तीक सोमश्रवा च्यवन वेदव्यास त्रिविक्रम माणवक जरत्कारु तुर कावषेय अश्वसेन भद्रक शौनक

इन्द्रप्रस्थ का सम्राट
नागों का राजा
नाग सरदार
पौरवों का पुरोहित

कुलपति

वेद का शिष्य
मनसा और जरत्कारु का पुत्र
उग्रश्रवा का पुत्र और जनमेजय का नया पुरोहित
महर्षि एवम् कुलपति
कृष्ण द्वैपायन
वेद का दूसरा विद्यार्थी
सरमा और वासुकि का पुत्र
ऋषि, मनसा का पति
जनमेजय का ऐन्द्रमहाभिषेक करानेवाला पुरोहित
तक्षक का पुत्र
जनमेजय का शिकारी भृत्य
एक प्रधान ऋषि और वाहाणों का नेता
(दौवारिक, सैनिक, नाग, दास आदि)
जनमेजय की रानी
जरत्कारु की स्त्री वासुकि की बहन

कुकुर वंश की यादवी

तक्षक की कन्या
वेद की पत्नी
सोमश्रवा की पत्नी

(दासियों और परिचारिकायें आदि) वपुष्टमा मनसा सरमा मणिमाला दामिनी शीला