पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/४३५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

वाट्सन न डोगी तोर पर लगा दी। शैला न झुंझलाहट से उसकी आर देखना चाहा, परन्तु वह मुस्करा कर नाव पर चढ़ गई। अब माँझा खने लगा । दोनो आस पास बैठे थे। दानो चुप थे । नाव धोरधीरे बह रही थी। ____वाट्सन ने हंसी स कहा-शैला | तुम ता गगा-स्नान करने सबेरे नही आती। फिर कैसी हिन्दू ___नाव बीच म चली जा रहा थी। शैला न दखा, एक ब्राह्मण-परिवार तट पर उस शीतकाल म नहा रहा है । शैला ने हँसकर कहा-तुम भी प्रति रविवार को गिरजे में नही जाते, फिर कैसे ईसाई । तव तो न तुम हिन्दू और न मैं ईसाई । बस केवल स्त्री और पुरुष । -सहसा शैला क मुह से अचेतन अवस्था म निकल गया । वाट्सन ने चौक कर उसकी आर देखा । शैला झेप-सी गई। वाटसन हंस पड़े। ___नाव चली जा रही थी। कुछ काल तक दोनो ही चुप हो गये, और गम्भारता का अभिनय करने लगे। फिर ठहरकर वाट्सन ने कहा-मैं मित्र की तरह एक बात पूछता हूँ, शैला, तुभ धुरा तो न मानोगी? पूछो न क्या है ? तुम इस विवाह से मुखी हो 1- अरे-मैंने कहा, सन्तुष्ट हो न? शैला ने दीनता से वाट्सन को देखा । उसके हृदय मे जो सूनापन था, वही अट्टहास कर उठा । वाट्सन न सान्त्वना के स्वर में कहा-शैला तुमने भूल की है, तो उसका प्रतिकार भी है । मैं समझता हूँ कि तुमने अपने ब्याह की रजिस्ट्री सिविल मैरेज के अनुसार अवश्य करा ली होगी। ___ शैला को जैसे थप्पड लगा, वाट्सन के प्रश्न मे जो गूढ रहस्य था, वह भयानव होकर शैला के सामने मूर्तिमान हा गया। उसन दोना हाथो में अपना मुंह छिप लिया। उसन कहा-वाट्सन, मुथे क्षमा करोगे। स्त्रियो को सब जगह एर्स ही बधाएं हागी । क्या तुम उनको दुर्बलता को सहानुभूति से नही देख सकोगे? ___ इसीलिए मैं आज तक अविवाहित हूँ। सम्भव है कि जीवन भर ऐसा है रहूँ। मुझसे यह अत्याचार न हो सकेगा । उहूँ, कदापि नही। शैला का स्वप्न भग हो चला ! उसने जैसे आँख खोल कर बन्द कमरे । अपन चारा ओर अन्धकार ही पाया। वह कम्पित हो उठी । किन्तु वाट्सन अचल थे। उनका निर्विकार हृदय शान्त और स्मितिपूर्ण था। शैला निरवलम्व है गई। - तितलो ४१