पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/२१८

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जज के साथ पांच जूरी वैठे थ। सरकारी वकील न अपना वक्तव्य समाप्त करते हुए कहा-जूरी सज्जना से मेरी प्रार्थना है कि अपना मत देते हुए वे इस वात का ध्यान रखें कि वे लोग हत्या जैसे एक भीषण अपराध पर अपना मत दे रह हैं । स्त्री, माधारणत मनुष्य की दया को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है, फिर जब कि उसके साथ उसकी स्त्री-जाति की मयादा का प्रश्न भी लग जाता हो। तब यह बडे साहस का काम है कि न्याय की पूरी सहायता हो। समाज में हत्या का रोग यहुत जल्द फैल सकता है यदि अपराधी इस जज ने वक्तव्य समाप्त करने का सकेत किया। सरकारी वकील ने कवलअच्छा तो आप लोग शान्त हृदय स अपराध का गुरुत्व विचारकर न्यायालय का न्याय करने में सहायता दीजिए । —कहकर वक्तव्य समाप्त किया। जज ने जूरियो को सम्बोधन करके कहा-सज्जना, यह एक हत्या का अभियाग है, जिसम नवाब नाम का मनुष्य वृन्दावन के समीप यमुना के किनारे मारा गया । इसमे तो सदह नहीं कि वह मारा गया-डाक्टर का कहना है कि गला घोटने और पत्थर से सिर फोडने स उसकी मृत्यु हुई। गवाह कहते है---जब हम लोगो न देखा ता यह यमुना उस मृत व्यक्ति पर झुकी हुई थी पर यह कोई नहीं कहता कि मैंने उसे मारत दखा । यमुना कहती है कि स्नी की मर्यादा नष्ट करने जाकर नवाव मारा गया, पर सरकारी वकील या यह कहना बिलकुल निरर्थक है कि उसन मारना स्वीकार किया है। यमुना के वाक्या से यह अर्थ कदापि नही निकाला जा सकता । इस विशेष बात को समझा दना आवश्यक था । यह दूसरी बात है कि वह स्त्री अपनी मर्यादा के लिए हत्या कर सकती है या नहीं यद्यपि नियम इसक लिए बहुत स्पष्ट है । विचार करने के समय आप लोग इन बातो का ध्यान रक्खगे । अब आप लाग एकान्त म जा सकते है। जूरी नाग एक कमरे में जा बैठे। यमुना निर्भीक होकर जज का मुह दख रही थी। न्यायालय म दर्शक बहुत थ । उस भीड मे मगल, निरजन इत्यादि भी १६० प्रसाद वाङ्मय