पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/६

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प्रक्कथन पूज्य पिताजी की पंक्तियों की अविकल प्रस्तुति का यह प्रयास अपनी अलर्ट क्षमता से मैंने किया है। यद्यपि उपलब्ध पाण्डुलिपियां समाग्री, ग्रंथ के आदिसस्कर और उनके हाथ हुए