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यमलोक का जीवन

एक सख्त तूफान आया। इस से हम लोगों की बड़ी दुर्दशा हुई। मुंँह में, और हाथों में भी, बर्फदंश की पीड़ा होने लगी। इसलिए हमने तत्काल अपने छोटे छोटे खेमे खड़े किये। और बड़ी मुश्किल से हाथ पैरों के बल रेंग कर उनके भीतर हम सब गये। यदि ऐसा करने में और जरा देर हो जाती तो हम लोगों का काम वहीं तमाम हो जाता।

लेफ्टिनेंट रायडस और मिस्टर स्केल्टन भी कुछ आदमियों के साथ, बेपहिये की गाड़ियाँ लेकर, हमारे जहाज से कोई ६० मील दूर तक चले गये। इन गाड़ियों को कुत्ते खींचते थे। रास्ते में एक भयानक बर्फ का तूफान आया। इस कारण इन लोगों को पाँच दिन तक छोलदारी के भीतर बन्द रहना पड़ा। जब तूफान बन्द हुआ तब इन्होंने देखा कि छोरवारी के ऊपर नीचे, इधर उधर, सब कहीं बर्फ जम गई है। बड़ी कठिनाई से बर्फ को कुदारियों से काट कर ये लोग उसके भीतर से बाहर आये। समुद्र के जम जाने के कारण हम लोगों ने, इसी प्रकार, इन छोटी छोटी गाड़ियों पर दूर दूर तक सफ़र किया और जीव-जन्तु, वनस्पति, भूगोल और भूस्तर-विद्या-सम्बन्धी अनेक जाँचे की; और अनेक प्रकार की वस्तुओं के नमूने इक्ट्ठे किये।

इस चढ़ाई में कुत्तों ने बड़ा काम किया। हमारे पास २३ कुते थे। क्या ही अच्छा होता यदि।