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यमलोक का जीवन

से रहने का प्रबन्ध कर के ठहर गये। वहा की रात २ अप्रैल से २७ अगस्त तक रहती है। रात का आरम्भ हुआ बर्फ भी खूब पड़ने लगी। ४०० मील तक समुद्र के ऊपर बर्फ जम गया। "डिस्कवरी" का सम्बन्ध बाहरी दुनियाँ से बिलकुल ही छूट गया।

नवम्बर १९०२ में कप्तान स्काट, डाक्टर विलसन और लेफ्टिनेंट शैकल्टन ने सब कुत्ते साथ लिये ओर स्लेज नाम की छोटी छोटी गाड़ियाँ ले कर वे बर्फ के उपर दक्षिणी ध्रुव की ओर दूर तक चले गये। मार्ग में उनको सख्त तकलीफें हुई। तथापि वे ८२१७ अंश तक दक्षिण की ओर गये और वहाँ उन्होंने अंँगरेजी झण्डा गाड़ा। दक्षिणी ध्रुव वहाँ से ४६७ मील रह गया। आज तक जितने लोग दक्षिणी ध्रुव की तरफ गये थे, उन सब से वे लोग २०७ मील और आगे बढ़ गये। इस चढ़ाई की सहायता के लिए और इसे भोजन वस्त्र इत्यादि पहुँचाने के लिए पीछे से दो धूमपोत और भेजे गये। उन्हीं में से "मानिङ्ग" नाम के धूमपोत में लेफ्टिनेंट शैकलटन, बीमार हो जाने के कारण, इंँग्लैंड लौट आये। उन्होंने दक्षिणी ध्रुव की जीवन-यात्रा के सम्बन्ध में जो कुछ प्रकाशित किया है उसका सारांश उन्हीं के मुँह से सुनिए।

उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा दक्षिणी ध्रुव में शीत अधिक