इस चढ़ाई का प्रबन्ध रायर सोसायटी और रायल जियाग्राफिकल सोसायटी ने किया। गवर्नमेंट ने भी ६,७५,००० रुपय दे कर इसकी सहायता की। इस के लिए "डिस्कवरी" नाम का एक खास किया गया। कप्तान स्काट उसके अधिकारी नियत हुए। यह धूमपात इंग्लैंड के काउस स्थान से, महाराज सातवें एडवर्ड और उनकी महारानो के सामने, ६ अगस्त १९०१ को छूटा। इस पर सरकारी सामुद्रिक विभाग के चुने हुए ११ अफसर और ३७ मनुष्य भेजे गये। उनके साथ उत्तरी ध्रुव के २३ कुत्ते भी भेजे गये। ये कुत्ते बर्फ के ऊपर छोटी छोटी गाड़ियाँ खींचने के लिए थे।
१५०० मील की यात्रा कर के यह, धूमपोत ९ जनवरी १९०२ को दक्षिणी ध्रुव के किनारे पहुँचा। दक्षिणी ध्रुव के आस पास का प्रदेश आस्ट्रेलिया के बराबर है। वहाँ पहुँच कर, जहाँ तक हो सका, इस चढ़ाई ने अपना काम किया; अनन्तर इस को यरबरा नामक सजीव ज्वालामुखी पहाड़ के पास ठहर जाना पड़ा। क्योंकि जाड़े के दिन आ गये और बर्फ अधिक पड़ने के कारण चढ़ाई के लोग और अधिक काम न कर सके। ८ फरवरी को काम बन्द हुआ। सब लोग बर्फ से बचने और दक्षिणी ध्रुव की लम्बी रात में आराम